लक्ष्मी..

लक्ष्मी..

आज माजघर शांत आहे सुन्न बसलंय स्वयंपाकघर, चुलीची धग लागत नाहीये कारण चवताळलाय ज्वाळांचा वावर.. आज बांगड्या नाहीत किणकिणणाऱ्या ना दिसला साडीचा पदर, कपाळावरलं कुंकूही दिसेना अन् एकाकी राहिला मंगळसूत्राचा सर.. असाच गेला दिवस ओशाळली दुपार, भरीस भर म्हणून आली तिन्हीसांज.. पेटला नाही दिवा तुळशीवृंदावन रितं, देवही बसले अंधारात देवघरही झालं परकं.. सरली संध्याकाळ उगवली […]

पिता क्या है ? पिता के महत्व पर एक छोटी कविता | Hindi Poem On Father

पिता क्या है ? पिता के महत्व पर एक छोटी कविता | Hindi Poem On Father

पिता क्या है? पिता एक उम्मीद है, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है उसके दिल में दफन कई मर्म हैं। पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, यहाँ क्लिक करें और पढ़िए पूरी कविता……