आज कल चर्चा है इसी बात पर की,
ज़माना असहिष्णु होता जा रहा है |
कोई वापस देता तमगा है,
तो कोई घर छोड़ जा रहा है ||
मै तो हूँ अचंभित,
सब को दिख रही असहिष्णुता,
दुम दबा के मुझसे ही,
क्यों भगा जा रहा है ||
मैंने खोजा सब जगह,
खेत-खलिहान, बाग़-बगीचे |
अन्दर-बाहर, सड़क और नदी,
पर मुझे तो कही दिख ना रहा है ||
कही फटा बम,
तो कही हो रहा हमला |
लेकिन पता नहीं क्यों,
यह भारत में ही भगा जा रहा है ||
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